कानपुर। विश्व के तीस लाख सैनिकों को दुश्मनों की गोलियों से कानपुर में बना हेलमेट बचा रहा है। कानपुर की एमकेयू कंपनी का यह बैलेस्टिक हेलमेट जरूरत के अनुसार नाइट विजन डिवाइस से भी जोड़ा जा सकता है। भारतीय सेना से लेकर विदेशी सेनाओं की अनिवार्य आवश्यकता बन चुके इस हेलमेट को अमेरिकी संस्था एनआइजे का प्रमाणन भी हासिल है।
आत्मनिर्भरता और देश के तकनीक विशेषज्ञों की श्रेष्ठता का डंका पूरी दुनिया में बजने लगा है। पूरी तरह से देशी डिजाइन और तकनीक के बूते पर एमकेयू ने दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अपनी जगह बना ली है। कंपनी के विशेषज्ञों ने हेलमेट के डिजाइन से लेकर आकार और वजन की तकनीक पर अनुसंधान किया और इसे पेटेंट भी कराया।
अब एमकेयू ऐसी कंपनी बन गई है, जिसके बैलेस्टिक हेलमेट अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे हल्के और मजबूत हैं। यही वजह है कि दुनिया के 230 सशस्त्र बल इन हेलमेट का प्रयोग अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए कर रहे हैं। भारतीय सेना व अद्धर्सैनिक बल भी इस हेलमेट का प्रयोग कर रहे हैं।
अत्याधुनिक खूबियों से लैस है हेलमेट
- एमकेयू के एडवांस्ड बैलेस्टिक हेलमेट तीन आकार में तैयार किए जाते हैं जिनका वजन 900 ग्राम से लेकर 1,050 ग्राम तक है।
- हेलमेट को सिर की सुरक्षा के साथ ही अन्य सुविधाओं से भी जोड़ा गया है। मसलन इनपर अलग-अलग रंग के कपड़े लगाकर जल, जंगल, जमीन, बर्फीले पहाड़ पर छद्मावरण के लिए तैयार किया जा सकता है।
- हेलमेट के साथ वीडियो कैमरा, सिग्नल लाइट, टार्च और नाइट विजन डिवाइस को भी जोड़ा जा सकता है।
- अत्याधुनिक संचार साधनों का उपयोग कर हेलमेट की मदद से सैनिक की वास्तविक लोकेशन और वहां के दृश्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
- हेलमेट की एक और खास बात यह है कि युद्ध स्थिति में यह सिर से बिल्कुल नहीं खिसकता।
जर्मनी में बनाई बैलेस्टिक टेस्ट लैब
हेलमेट में प्रयोग होने वाली वस्तुओं के गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कंपनी ने अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय क्वालिटी चेक लैब बनाई है, लेकिन तैयार हेलमेट के बैलेस्टिक परीक्षण के लिए जर्मनी के प्लांट पर टेस्ट लैब बनी है। कंपनी के हेलमेट को अमेरिका की रक्षा उत्पादों को प्रमाणित करने वाली संस्था एनआइजे ने प्रमाणित कर रखा है।
नाटो देशों से लेकर संयुक्त राष्ट्र के सैनिक भी एमकेयू हेलमेट का प्रयोग कर रहे हैं। अब तक 100 से अधिक देशों में हम इसकी आपूर्ति कर चुके हैं। कंपनी के तकनीक विशेषज्ञों की बड़ी टीम की दक्षता और लगातार अनुसंधान का यह सुखद परिणाम है कि भारतीय हेलमेट का आज पूरी दुनिया में प्रयोग हो रहा है। इससे देश की आर्थिकी में भी हम योगदान कर पा रहे हैं।
सोर्स – मनोज गुप्ता, चेयरमैन, एमकेयू
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